Thursday, April 22, 2021

 हिन्दी के मूर्धन्य साहित्यकार पद्मश्री नरेंद्र कोहली जी का जाना हिन्दी जगत में एक महाशून्य दे गया। दिनांक १७ अप्रैल २०२१ के दिन उहोन ने अंतिम साँस ली | मेरे लिए यह व्यक्तिगत क्षति है | मेरा पूरा परिवार शोक मे डूबा है | पटना आने पर वे मेरे आवास पर अवश्य आते थे | वे एक सिद्धहस्त साहित्यकार, उपन्यासकार थे। मेरा उनसे व्यक्तिगत संबंध रहा। उनका बेबाकीपन, उनकी सहजता , उनका स्नेह से भरा व्यक्तित्व इस क्षण मेरे मन को अवसाद से भर रहा है | वे इस तरह एकाएक चले जाएँगे इसकी कल्पना भी नहीं थी। कालजयी कथाकार डॉ. नरेन्द्र कोहली ने हिंदी साहित्य के लिए साहित्य का अक्षय भण्डार छोर गए हैं | वे साहित्य यात्रा के परामर्शी थे | आधुनिक युग में इन्होंने साहित्य में आस्थावादी मूल्यों को स्वर दिया| उनका ह्रदय राममय था | रामजी उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें |

Raj Chandra Jha, Anita Jha and 101 others
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