Monday, February 10, 2020

हिंदी कश्मीरी संगम और उत्तर प्रदेश हिंदी संसथान के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक ६-७ फ़रवरी को 'कश्मीरी, डोगरी और हिंदी साहित्य के अन्तर्सम्बन्ध की चुनौतियाँ ' विषय पर आयोजित संगोष्ठी बहुत ही सार्थक रहा | कुछ पत्रों की प्रस्तुति तो बहुत ही महत्वपूर्ण रहा | इस संगोष्ठी के माध्यम से हिंदी के साथ कश्मीरी डोगरी के अन्तर्सम्बन्ध को समझने और इसमें आ रहे विभिन्न चुनौतियों से रूबरू होने का अवसर मिला | आयोजकों के प्रति आभार की उन्हों ने मुझे श्री भट्ट मनीषी सम्मान से सम्मानित भी किया | शहजादा नन्द कॉलेज, अमृतसर की पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर अतुला भास्कर की पुस्तक ' भारतीय छंद परंपरा में पंजाब रीत्याचार्य कवि' का लोकार्पण भी करने का अवसर मिला |



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