हिंदी कश्मीरी संगम और उत्तर प्रदेश हिंदी संसथान के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक ६-७ फ़रवरी को 'कश्मीरी, डोगरी और हिंदी साहित्य के अन्तर्सम्बन्ध की चुनौतियाँ ' विषय पर आयोजित संगोष्ठी बहुत ही सार्थक रहा | कुछ पत्रों की प्रस्तुति तो बहुत ही महत्वपूर्ण रहा | इस संगोष्ठी के माध्यम से हिंदी के साथ कश्मीरी डोगरी के अन्तर्सम्बन्ध को समझने और इसमें आ रहे विभिन्न चुनौतियों से रूबरू होने का अवसर मिला | आयोजकों के प्रति आभार की उन्हों ने मुझे श्री भट्ट मनीषी सम्मान से सम्मानित भी किया | शहजादा नन्द कॉलेज, अमृतसर की पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर अतुला भास्कर की पुस्तक ' भारतीय छंद परंपरा में पंजाब रीत्याचार्य कवि' का लोकार्पण भी करने का अवसर मिला |
Popular Posts
-
साहित्य स्व्यं जीवन है। साहित्यकार रचना के क्रम मे उस जीवन को जीता है और पठक पढ्ने के क्रम मे। जीवन पथ का प्राय: प्रत्येक पथिक दैनिक जीवन पथ...
-
नमस्कार मित्रों आईए इसके पूर्व कि मैं आपको नरेन्द्र कोहली जी से सात वर्ष पहले कि एक यादगार बातचीत का अंश दिखाऊँ आपक...
-
भाषा की उत्पत्ति के सिद्धांत मानव ने श्रृष्टि में व्याप्त ध्वनियों को अपने अहर्निष प्रयास, अभ्यास तथा प्रतिभा से शब्द संकेतों में परिवर्तित ...
-
रिपोर्ट ‘आवारा मसीहा की औपन्यासिकता’ का लोकार्पण 19 दिसम्बर का दिन था। सुबह से काफी ढंड पड़ रही थी। दस बजे के बाद धूप खिली तो शरीर...
-
प्रस्तुत व्याख्यान प्रो. कलानाथ मिश्र द्वारा हिन्दी के स्नातक, स्नातकोत्तर एवं विभिन्न प्रकार के शोधरथियों को ध्यान मे रखकर निर्मित किया गया...
-
हिंदी कश्मीरी संगम और उत्तर प्रदेश हिंदी संसथान के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक ६-७ फ़रवरी को 'कश्मीरी, डोगरी और हिंदी साहित्य के अन्त...
-
हिन्दी के मूर्धन्य साहित्यकार पद्मश्री नरेंद्र कोहली जी का जाना हिन्दी जगत में एक महाशून्य दे गया। दिनांक १७ अप्रैल २०२१ के दिन उहोन ने अं...